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Friday, September 8, 2017

भारतीय राजनीती के सबसे बड़े बाजीगर:- नरेंद्र मोदी

                     भारतीय राजनीती के सबसे बड़े बाजीगर:- नरेंद्र मोदी 

मिथिला :-08-09-2017

भारत के प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीती के सबसे बड़े बाजीगर माने जाने  लगे है. ये रहे कुछ महत्वपूर्ण तथ्य  जो ये साबित करते है


दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा था कि चुनावों के दौरान किसी भी पार्टी को वोट डाला जाए वो जाता बीजेपी को ही है. हाल ही में बिहार में मची सियासी उथल-पुथल के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर काफी मजाक उड़ाया गया. लेकिन जिस तरह धीरे-धीरे बीजेपी ने 29 में से 18 राज्यों में अपनी सरकार बना ली है और कांग्रेस 6 राज्यों तक सिमट कर रह गई है उससे इसे मजाक समझना सही नहीं होगा.



बिहार में महागठबंधन से बनी नीतीश कुमार सरकार 20 महीने भी नहीं चल पाई. विधानसभा चुनावों में बीजेपी को करारी हार मिली और पार्टी यहां तीसरे नंबर पर आ गई लेकिन इसके बावजूद वो नीतीश कुमार के साथ सरकार बनाने में सफल रही और लालू यादव सबसे अधिक विधायक होने के बावजूद अपनी पार्टी को विपक्ष में बैठते देखने को मजबूर हैं.



इस साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने पहली बार मणिपुर में अपनी सरकार बनाई. 60 सीटों वाले मणिपुर में किसी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ लेकिन कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 28 सीटें जीतीं इसके बावजूद यहां अन्य पार्टियों के समर्थन से बीजेपी अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही. यहां बीजेपी के बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने और एनपीपी के विधायक वाई जयकुमार को उप-मुख्यमंत्री बनाया गया. यानी यहां भी बीजेपी हारने के बावजूद जीत गई.



गोवा में हुए विधानसभा चुनावों में 40 सीटों में से बीजेपी केवल 14 सीटें जीत पाई थी जबकि कांग्रेस ने 18 सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस से कम सीटें होने पर भी गोवा में बीजेपी अपनी सरकार बनाने में कामयाब रही. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने अपने पद से इस्तीफा देकर गोवा में छोटे दलों और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बनाई जबकि कांग्रेस राज्यपाल के बुलावे का ही इंतजार करती रह गई. गोवा में बीजेपी चुनाव हार गई लेकिन उसकी सत्ता बरकरार रही.



राष्ट्रपति चुनावों में बीजेपी ने दलित चेहरे और बिहार के तत्कालीन गवर्नर रामनाथ कोविंद को एनडीए के राष्ट्रपति कैंडिडेट के रूप में उतारा. इसे बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक माना गया. क्योंकि विपक्ष अपने उम्मीदवार पर सोचता ही रह गया और बीजेपी ने महज दो घंटे की बैठक में कोविंद का नाम घोषित कर यूपीए को झटका दे दिया. राष्ट्रपति चुनावों में रामनाथ कोविंद ने 65% से ज्यादा वोट जीते वहीं मीरा कुमार को करीब 34% वोट मिले. इन चुनावों में बीजेपी ने विरोधी दलों में भी सेंध लगाई. पश्चिम बंगाल से भी बीजेपी के केवल 6 वोट हैं, लेकिन कोविंद के पक्ष में 11 वोट डाले गए, वहीं त्रिपुरा में बीजेपी का कोई विधायक नहीं होने के बावजूद कोविंद को 7 वोट मिले.



उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद भी सूबे में नरेंद्र मोदी का जादू कायम है. पीएम मोदी की बढ़ती लोकप्रियता से विपक्ष में बिखराव नजर आ रहा है. सपा-बसपा में टूट और इस्तीफे का दौर जारी है. नवाब बुक्कल समेत दो MLC ने सपा से इस्तीफा दे दिया है जबकि एक का बीएसपी से इस्तीफा हो गया है. ये सभी बीजेपी से जुड़ने को इच्छुक हैं. ऐसे में अगर ये बीजेपी में आते हैं तो पार्टी की राज्यसभा में ताकत बढ़नी लाजिमी है. दरअसल ये पीएम नरेंद्र मोदी की करिश्माई छवि है जिस वजह से विपक्ष के नेता भी उनके साथ आने को बेताब हैं. यही नहीं, मुलायम के भाई शिवपाल यादव भी बीजेपी जुड़ सकते हैं.




गुजरात की तीन राज्‍यसभा सीटों पर चुनाव होने वाले हैं, जिनमें माना जा रहा है कि दो सीटें बीजेपी के और एक सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी. जिन दो सीटों पर बीजेपी की जीत पक्की मानी जा रही है उनमें से एक सीट पर बीजेपी ने अमित शाह और दूसरी पर स्‍मृति ईरानी को उतारा है. वहीं जिस सीट पर कांग्रेस की जीत पक्की मानी जा रही है उस पर कांग्रेस ने पांच बार से राज्‍यसभा सांसद अहमद पटेल को उतारा है, जो कांग्रेस उपाध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार भी हैं. इन चुनावों से ठीक पहले गुजरात में कांग्रेस के 5 विधायक पार्टी छोड़ चुके हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला ने भी अपने जन्मदिन के दिन कांग्रेस को झटका देते हुए पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस में मची इस भगदड़ के बाद अहमद पटेल के लिए जीत मुश्किल होती दिख रही है.



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